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अनुभूति में संदीप रावत की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
दो कैदी
पिताओं को कन्यादान करते
मैंने दूरबीनों से
यातना
सैलानियों के मौसम
हैंग टिल डेथ

 

छंदमुक्त में-
कविता
टूटन
पत्ते

मुझे अफ़सोस है
हवा और धुआँ

  दो कैदी

औरतों को नहीं मिलीं सड़कें
आधी रात को घूमने के लिये
और
आदमी भी नहीं निकल पाया
आदमी होने के गुरुत्व से

बाहर
दोनों ही, न हमनवा हो पाये
न हमनज़र

हमराज़, दो उम्र कैदी
देखते रहे
एक दूजे को
ता उम्र
उम्मीद से

२० जनवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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