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इस जंगल जीवन के 
देखे अनदेखे प्रतिबंधों को 
नये वर्ष की सारी खुशियाँ। 
1 
फूलों गंध महकने वाले 
उन कोमल संवेगों को 
अस्फुट शब्दों के कंधों पर 
चढ़ आये उद्वेगों को 
1 
चंदन-साँसों के संगम को 
पुष्प-चरित अनुबंधों को 
नये वर्ष की सारी खुशियाँ। 
1 
साथ जिये सम्पूर्ण समय के 
हर घटना इतिहास को 
हर दुहराई गई शपथ को 
हर आवारा प्यास को 
1 
पर्वत-घाटी,हवा नदी को 
गगन मेघ संबंधों को 
नये वर्ष की सारी खुशियाँ। 
1 
अजगर मुँह के वर्तमान के 
इस अंधे गलियारे को 
स्थितियों के दुर्वासा को 
कुण्ठा-पाँव पसारे को 
1 
सुख की सारी क्षणिकाओं को 
दु:ख के काव्य-प्रबन्धों को 
नये वर्ष की सारी खुशियाँ। 
1 
- गणेश गम्भीर  | 
                      
              
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अबकी साल  
जरा हो हटके 
1 
शातिर मुट्ठी भर चरवाहे  
लेकर तेल पिलाई लाठी  
"हेली" बाँध रहे खूँटे से  
एक जुगाली भर दे पाती 
 
ले सींगों पर उन्हें "रगेदें" 
भैंसें भिड़ें लट्ट से डटके 
अबकी साल  
जरा हो हटके 
1 
खोलें ट्रंक पुराना ढूँढे  
मुड़ी-तुड़ी लॉकर में चिट्ठी 
अम्मा-बप्पा की आशीषें 
तकती राह सयानी बिट्टी  
 
नैहर बैठी श्रीमती का  
बाँचें पत्र गुलाबी सटके 
अबकी साल  
जरा हो हटके 
1 
"बाइक", 'मेल", "कार', 'मोबाइल' 
रहें सभी उपवास एक दिन  
कुनबे सरकारी अमलों के  
करें गाँव में वास एक दिन  
 
नगर कोठियों में गँवई दल  
उस दिन मिनरल वॉटर गटके 
अबकी साल  
जरा हो हटके  
1 
- रामशंकर वर्मा  |