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  डेंगू

हटौ-बचौ, दौड़ो-भागौ, बड़ौ भयानक है जू
छोटो-मोटो बाइरस नाईं, नाँव है जाको डेंगू
चाहें होउ तुम सतर सूधे चाहैं होउ लूले भेंगू
आइ गये जाकी चपेट मैं, तौ नाईं छुड़ये डेंगू

पहलें होत हते देसी बायरस सूधो साधो नाम
जांदां तै जांदां नाक बहावैं और करैं जुकाम
पर अब जू उड़ के आओ है जापान चीन सै
पूरब पच्छिम सब मैं है नाँव जाको बदनाम

पर भैया पत्रकार कवि और नेता की सेहत कौ
जू ससुरो डेंगू बाइरस है बड़ो फायदेमंद
गाँव सहर सबके अखबारन के पत्रकार जा पै
अखबारन कौं रंग के हुइ रहे संड मुसंड

और हम जैसे अलुआ ठलुआ कवि नाम कमावैं
लिख कें एक कविता विषय है जाको डेंगू
और मंत्री जी ने जाके खिलाफा जांच बिठाई दई
जैसे कोई नालायक ईमानदार अफसर है जू

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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