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धूम्रपान - एक कठिन काम

करते हैं जो धूम्रपान की निंदा
उनसे हूँ मै बहुत ख़फ़ा,
जान लें वो इस कार्य की महत्ता को,
या फिर हो जाएँ यहाँ से दफ़ा।
महान ये काम है आसान नहीं ये राह है
वर्षों की साधना का निकला ये परिणाम है।
धुएँ के छल्ले बनाना
एक साँस में ही पूरी सिगरेट पीना,
ज़हरीले धुएँ को अपने अंदर समा कर
चेहरे पर खुशी की झलक दिखलाना,
इसका नहीं कोई मेल है
ना ही ये हँसी और खेल है।

खुद के फेफड़ों को दाँव पर लगाकर
सिगरेट के कश लगाते हैं
यों ही नहीं दुनिया में साहसी हम कहाते है।
सिगरेट के धुएँ कितनों को रोज़गार दिलाते हैं,
इसके एक कश से कठिन से कठिन समस्या के
हल यों ही निकल आते हैं।
बढ़ती आबादी पर लगाने को लगाम,
क्या नहीं कर रहे हम नेक ये काम।
खुद को धुएँ में जला कर
बनते हैं दूसरों के लिए बुरे एक उदाहरण,
नहीं काम है ये साधारण।

क्यों नाहक ही करते हो
हमें इस तरह बदनाम,
दे-दे कर गालियाँ सुबह और शाम।
अभी समझ आया या फिर कुछ और सुनाऊँ,
रुको! ज़रा पहले एक सिगरेट तो जलाऊँ।

9 अगस्त 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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