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  मेरे देश के नौजवानों

मेरे देश के नौजवानों
जागो नींद से अज्ञानता की,
आलस्य को तुम त्यागो।
मेरे देश के नौजवानों,
कर्मठता को तुम अपना लो।
देश के विकास में,
जुट जाओ तुम डटकर।
पीछे हटना न तुम,
बाधाओं से घबराकर।
देश को गौरव वापस दिलाना है तुम्हें।
एक बार फिर जगद्गुरु कहलाना है हमें।
तोड़ दो ये ज़ंजीरें भेदभाव की,
भड़कने न दो तुम ये आग सांप्रदायिकता की।
देश को एकता के सूत्र में पिरोना है तुम्हें,
आतंक हिंसा को जड़ से मिटाना है हमें।
देश में शांति का माहौल,
फिर से तुम्हें बनाना है।
नफ़रत की धरती पर,
देश प्रेम का पुष्प तुम्हें ही तो उगाना है।
देश को बुलंदियों तक पहुंचाना,
कर्म यही तुम्हारा है।
वतन के लिए मर-मिटना,
धर्म यही तुम्हारा है।
तुम्हारा एक ही मज़हब,
एक ही ईमान हो।
तुम भारतीय हो,
बस यही तुम्हारी पहचान हो।

24 सितंबर 2005

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