| 
                        						   
						
						111 
						 | 
                      
              
आशीषों से भरी पिटारी  
उम्मीदों की गठरी भारी  
जाते-जाते मेरे द्वारे  
छोड़ गया था  
बीता साल  
 
संकल्पों की पहली पुड़िया 
दूजे में निष्ठा विश्वास 
तीजी में बाँधा था धीर  
चौथी पुड़िया में सुख-हास  
 
सब गिरहों में रक्षा रोली  
बाँध गया था  
बीता साल  
 
कुछ थीं कल की मीठी यादें  
कड़वी रखना भूल गया था  
जीवन पथ में फूल बिछा कर  
बीन के सारे शूल गया था 
 
अँगना में खुशियों के बीजे 
रोप गया था  
बीता साल  
 
ज्ञान नहीं, उपदेश नहीं था  
पाती में ताकीद लिखी थी  
नींव पुरानी, भवन नया हो  
भावी सुख की सीख लिखी थी 
 
गुरू मन्त्र समझौतों वाला 
सिखा गया था  
बीता साल  
 
- शशि पाधा  | 
                      
              
  | 
                      
              
नया साल हर खुशियाँ लाया  
बस झोली  
फैलाओ तुम।  
1 
महकेगी हर आँगन बगिया  
चहकेगी घर अपने बिटिया  
भेद -भाव जल डूब मरेंगे  
चमकेगी सिर किस्मत पगिया।  
 
नया साल भर कलियाँ लाया  
बस झोली  
फैलाओ तुम।  
1 
शिक्षा का अभियान चलेगा  
हर मानव सज्ञान बनेगा  
नहीं रहेगा कोई अनपढ़  
मूढ़मती का हृदय जलेगा 
 
नया साल नव गतियाँ लाया  
बस झोली  
फैलाओ तुम।  
1 
मेहनतकश को कार्य मिलेगा  
सुविधा से कुनबा महकेगा  
होंगी सब आशाएँ पूरी  
नव्य डाल पर सुख फूलेगा 
 
नया साल शुभ रतियाँ लाया  
बस झोली  
फैलाओ तुम।  
1 
- कल्पना मनोरमा |