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अनुभूति में दिनेश ठाकुर की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आईने से
आँगन का ये साया
ज़ख्म़ी होठों पे
जाने दिल में
गम मेरा
ढलती शाम है
तू जबसे मेरी
थक कर
दूर तक
नई हैं हवाएँ
बदन पत्थरों के
मुकद्दर के ऐसे इशारे
मुद्दतों बाद
रूहों को तस्कीन नहीं
शीशे से क्या मिलकर आए
सुरीली ग़ज़ल
हम जितने मशहूर
हम दीवाने
हर तरफ़

हो अनजान

  ज़ख्म़ी होठों पे

ज़ख़्मी होठों पे खुशी का गीत-सा अच्छा लगे
आदमी में इस बला का हौसला अच्छा लगे।

छोड़ देगा एक दिन वो मुझको मेरे हाल पर
उसके पहलू में मगर यह वसवसा अच्छा लगे।

मौजजन है मुफ़लिसी का दर्द कासे में मगर
फिर भी मुझको वो भिखारी ख़ुशनुमा अच्छा लगे।

इंतिहा-ए-ग़म का शायद अब असर होने लगा
वहशतें अच्छी लगें, हर हादिसा अच्छा लगे।

हर तरफ़ उलझन के डेरे, हर तरफ़ तन्हाइयाँ
दिल हमारा सब तरफ़ से मुब्तला अच्छा लगे।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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