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२. ६. २०१४

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राजपथ पर

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राजपथ पर
कंटकों की क्यारियाँ हैं

खूबसूरत
स्वप्न सा चरितार्थ है
किंतु इसका गूढ़ कुछ
निहितार्थ है
चल सँभलकर
राह में दुश्वारियाँ हैं

सुख नहीं
सत्ता सदा विषपान है
जो इसे हल्के से ले
नादान है
विवादों से
इसकी पक्की यारियाँ हैं

तुमको जो
कहना था वो तुम कह चुके
जो किले मुश्किल थे
वो भी ढह चुके
अब नया
गढ़ने की जिम्मेदारियाँ हैं

जो सगे
उनसे भी है प्रतिद्वंद्विता
रेस में शामिल जिन्हें
कहते पिता
लोग तकते
अपनी-अपनी बारियाँ हैं

- ओमप्रकाश तिवारी

इस सप्ताह

गीतों में-

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ओमप्रकाश तिवारी

अंजुमन में-

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राजेन्द्र पासवान घायल

छंदमुक्त में-

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सविता मिश्रा

कुंडलिया में-

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला

पुनर्पाठ में-

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मोहित कटारिया

पिछले सप्ताह
२६ मई २०१४ के पीपल विशेषांक में

गौरवग्राम में-नागार्जुन, प्रभाकर माचवे, नरेश मेहता।
गीतों में-
ओमप्रकाश नौटियाल, कुमार रवीन्द्र, कुमार शिव, कृष्णकांत मधुर, दिगंबर नसवा, रविशंकर मिश्र, रामशंकर वर्मा,
सीमा अग्रवाल, त्रिलोक सिंह ठकुरेला
अंजुमन में-
कल्पना रामानी, कृष्णनन्दन मौर्य, राजगोपाल सिंह, संजू शब्दिता, सुबोध श्रीवास्तव,
सुरेन्द्रपाल वैद्य।
छंदमुक्त में-
उमेश मौर्य, उर्मिला शुक्ल, परमेश्वर फुँकवाल, मंजुल भटनागर, संजय चतुर्वेदी, सविता मिश्रा, सरस्वती माथुर।

छंदों में-
कुमार गौरव अजीतेन्दु, ज्योतिर्मयी पंत, डॉ. जगदीश व्योम, राज सक्सेना राज, शशि पाधा।

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी
   
 

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