पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश 

१. ८. २०२५1

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बारिशों में शहर

 

 

शहर में फिर बारिशें हैं
रुक नहीं सकता है दिन पर
चल पड़े सब

आसमानों में अँधेरा
औ सड़क पर लाइटें हैं
समय है दिन का मगर
आभास देता रात का है
बारिशों ने थाम रक्खी गति
शहर पर कब थमा है

बारिशों के नियम है
उनको समय से बरसना है
शहर की जिद है
कि उसको सुबह उठकर दौडना है
बारिशों में भीगना है
अब नहीं उसको पता है

धुँध है, परछाइयाँ हैं कौन देखे
हवा की शहनाइयाँ हैं कौन जाने
बंद कारों में सभी के राग अपने
चल पड़े सब
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- पूर्णिमा वर्मन
इस माह
(वर्षा विशेषांक)

छंदमुक्त में-

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अर्चना श्रीवास्तव आहना

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अल्पना दीक्षित

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अनुपमा त्रिपाठी 'सुकृति'

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अमित खरे

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आभा खरे

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आभा सक्सेना

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कमलेश कुमार दीवान

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गरिमा सक्सेना

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नमिता सुंदर

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पद्मा मिश्रा

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पारुल तोमर

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पूर्णिमा वर्मन

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भावना सक्सेना

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मंजुल भटनागर

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मंजु सक्सेना

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मंजु सिंह

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मधु संधु

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मीरा ठाकुर

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रमा प्रवीर वर्मा

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रेखा श्रीवास्तव

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संजय सुजय बासल

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सुरेखा अग्रवाल स्वरा

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सुरेन्द्र पाल वैद्य

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स्मृति गुप्ता

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हरिहर झा

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त्रिलोचना कौर

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हाइकु में-

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मिथिलेश दीक्षित

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दोहों में-

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सुरेन्द्र कुमार शर्मा

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